Friday, November 14, 2008

rajesh as a social animal

computers are like AC,
they stop working when u open windows!!


I am a very ordinary guy with ultra ordinary desires. As far as my Academic Status goes, right now, i am pursuing B.Tech in Information Technology(3rd Sem). these are just my struggling days..., . Just fighting with my self. I do understand THE LANGUAGE OF WORLD( The Alchemist, Paulo Coelho).
I am a great fan of Movies, Internet and Hindi & English Literature.
I am a Linux Enthusiast
I'm Mad, Crazy & Passionate about COMPUTERS, especially LINUX & other OpenSource products & technologies.
As far as rajesh as a Social Animal is concerned, I am some what Shy but Straight Forward Person. Some people also call me Introvert. I just belive in Humanity: Just help some one, if you can.
I'm Simple, OpenMinded & Friendly Ambivert. I'm Humorous, Naughty & Funloving person with a Helpful nature & some Caring attitude. Sometimes I'm Mysterious & Unpredictable. I'm a very Technology Savvy person.
I do feel that
Life should be as simple as a simple poetry.
There must be transparency in relationships.
You must not always think about yourself, u must be selfless sometimes.
A Bitter Truth: I don't have any reasons to smile::

I am a very down to earth person and always pray god that I may maintain it.RAJESH

MY INTRO

कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कोची
(भारतीय अभ्यान्त्रिकी विज्ञान एवं प्रद्योगिकी संस्थान ,कोचीन)
@@@@@%@@@@@
जिन्होने उड़ाई है,मेरी रातों की नींद,

वही पूछते हैं .तू जागता क्यूं है......

और

जब गिनकर ही मिली हैं सांसें सबको,

फ़िर हर आदमी मौत से भागता क्यूं है

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क्या लिखूं और किसके बारे में लिखूं
कभी सोचा नहीं था अपना ढोल अपने ही हाथों से पीटना पड़ेगा अर्थात् अपना परिचय स्वयं ही दूसरों को देना पड़ेगा..

मिट्टी का तन,मस्ती का मन
क्षण भर जीवन, मेरा परिचय...

पर मैं वो बात किसी को कैसे बताऊं,जो मैं खुद नहीं जानता
हाँ चाहे कितनी भी बातें लिख लूं,पर सच यही है कि मैं नहीं जानता 'मैं कौन हूँ'
कई बार सोचा,सवालों-जवाबों का सिलसिला बंधा-टूटा,कई जवाब मिले,कई नये सवाल उठे,पर ये सवाल वहीं का वहीं है
मेरे मित्र जवाब देते हैं,तुम राजेश राय हो पर, ये तो मेरा नाम है
लोग कहते हैं,तुम मनुष्य हो पर,ये तो मेरी ज़ाति है
कुछ ने कहा, तुम छात्र हो पर, ये तो मेरा व्यवसाय है
ये मेरा नाम,मेरी ज़ाति,मेरा व्यवसाय मुझसे ही तो आस्तित्व में हैं,फ़िर ये मेरा परिचय कैसे हो सकते हैं,
जिससे मेरा आस्तित्व हो,वही मेरा परिचय हो सकता है.....


तो फ़िर, मैं कौन हूँ और अगर मैं राजेश राय नहीं हूँ तो राजेश राय कौन है......
मैं भूल रहा हूँ कि मेरा एक शरीर भी है,शायद उसी का नाम राजेश राय है,शायद वही मनुष्य भी है,क्योकि उसी के दो हाथ,दो पैर,हॄदय और मष्तिष्क भी हैं.......
आईना जब गिरकर चूर हो जाता है,अपना स्वरूप खो देता है,तो फ़िर उसका नाम आईना नहीं रहता,उसे बस काँच का टुकड़ा कहा जा सकता है.आईना अपने स्वरूप के साथ नाम भी खो देता है....
तो फिर ये शरीर,जिसका नाम राजेश राय है,ये भी तो एक दिन अपना स्वरूप खो देगा,उस दिन इसका नाम क्या होगा...........शायद राजेश राय ही...,
हे प्रभु! ये कैसा विरोधाभाष है? स्वरूप खोने के बाद भी ये शरीर अपना नाम नहीं खो रहा है....
कहीं ऐसा तो नहीं, राजेश राय नाम इस शरीर का नहीं है.......
तो फ़िर किसका है......

कुछ भी समझना मुश्किल है,कल भी मुश्किल था,आज भी.....
सवाल अभी भी वहीं खड़ा हैं,हँस रहा है मेरी बेबसी पर,अपने अविजित होने पर...
हाँ,इसके अलावा मुझे थोड़ा बहुत पता है अपने बारे में.......
मेरी दर्शन-शास्त्र और सहित्य में गहरी रुचि है.यही मेरे जीवन का आधार है,जीने का जज़्बा है,लक्ष्य है..
अभी बहुत सफ़र तय करना है,कई मंज़िलों ,बाधाओं को पार करना है और अन्तिम लक्ष्य तक पहुँचना है.......
मेरा अन्तिम लक्ष्य उस सत्य को अनावॄत करना है,जो अब तक सब की आँखों से ओझल है....
क्योकि सत्य का अर्थ है,सतत् अर्थात सदा बना रहने वाला....मालूम नहीं ऐसा सत्य कहाँ मिलेगा...शायद भगवान के पास........

और अन्त में,गाइड फ़िल्म के ये शब्द मेरी ज़िन्दगी के शब्द बन गये हैं,
सवाल अब ये नहीं कि पानी बरसेगा या नहीं,सवाल ये नहीं कि मैं जिऊँगा या मरूंगा.सवाल ये है कि इस दुनिया को बनाने वाला,चलाने वाला कोई है या नहीं.अगर नहीं है तो परवाह नहीं ज़िन्दगी रहे या मौत आये.एक अंधी दुनिया में अन्धे की तरह जीने में कोई मज़ा नहीं. और अगर है तो देखना ये है कि वो अपने मज़बूर बन्दों की सुनता है या नहीं.